Sunday, May 9, 2010

ममता


आज मातृ-दिवस के अवसर पर मैं इस विश्व की सभी माताओं का अभिनंदन करती हूँ. "माँ" शब्द अपने आप में एक अलंकार है, एक गरिमा है और स्त्री जाती को सम्पूर्ण सार्थकता प्रदान करने वाला एक परम सत्य है. माँ की ममता अपने आप में एक विलक्षण अनुभूति है. मेरी यह कविता उन सभी माताओं को समर्पित है जिन्होंने किसी न किसी कारण से अपनी संतान को खो दिया है.

ममता

ममता, गर्भ में अस्तित्व का अंश है,

अजन्मे शिशु से मोह की अनुभूति हैI

प्रसव पीड़ा सहने की शक्ति है,

सृष्टि को चलाने वाली प्रकृति हैI


ममता, हृदय की एक तरंग है,

अदृश्य स्पर्श का बंधन हैI

अनगिनत सपनों का सिलसिला है,

बढ़ती उम्र का स्पन्दन हैI


ममता, असमय मृत्यु का विलाप है,

सूखी आँखों का सूनापन हैI

बीते हुए पलों की धरोहर है,

घुट कर रह जाने वाला क्रन्दन हैI

-किरण सिन्धु


चित्र: google के सौजन्य से