आज सुबह जब मैं टहलने गई थी तो सामने से अमित आ रहा था . वह कभी मेरे पड़ोस में रहा करता था . आज सामने पड़ने पर नमस्ते आंटी कहकर आगे बढ़ गया . उसके इस ब्यवहार पर मुझे कुछ आश्चर्य भी हुआ . क्योंकि वह बहुत ही हँसमुख लड़का था . आज मुझे वह बहुत उदास दिखा . घर आने पर मेरे बेटे ने बताया कि मंदी के कारण उसकी नौकरी चली गयी है.
मैं आए दिन यह सुनती हूँ कि कभी मेरे बच्चों के मित्रो में से किसी की नौकरी मंदी का शिकार हुई तो कभी उनकी कंपनी से कुछ कर्मचारियों को निकाल दिया गया . ऐसे लोग एक अजीब सी कुंठा से ग्रस्त हो जाते हैं, ऐसा लगता है कि उनसे कोई पाप हो गया है . पिछले कुछ महीनो से मंदी की महामारी ने अनेक घरों का सुख- चैन छीन लिया है, और इससे सबसे अधिक प्रभावित युवा- पीढी हुई है क्योंकि मंदी का शिकार वे कमचारी अधिक है जिन्हें संस्था में काम करते हुए सबसे कम समय हुआ है. इसका दुष्परिणाम तीन प्रकार से हुआ है.
- पहला, जिन कर्मचारियों को निकाला जा रहा है, वे अपने परिवार के साथ इस संताप को झेल रहे हैं. किसी को भी इस बात से तात्पर्य नहीं है कि अब उनके घर का चूल्हा कैसे जलेगा, उनके बच्चों की या छोटे भाई बहनों की फीस कहाँ से आयेगी या उनके माता-पिता की दवा के लिए पैसे कहाँ से आएंगे . वे असह्य तनाव का जीवन जीने को बाध्य है.
- दूसरा, जो कर्मचारी अभी कंपनी में कार्यरत हैं वे एक असुरक्षा की भावना से ग्रस्त हैं. वे इस बात से अशांत हैं कि कल उनकी नौकरी भी खतरे में पड़ सकती है. ऐसी स्थिति में वे अंतर्द्वंद से जूझते रहते हैं .
- तीसरा, प्रभाव उस युवा वर्ग पर पड़ रहा है जो अब अपनी पढाई पूरी करके नौकरी करने जा रहे हैं. उनके भविष्य के सुनहरे सपनों पर बेरोजगारी के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं. उनका आत्मविश्वास उनका साथ छोड़ रहा है. वे हाँ ना की स्थिति में है . उन्हें नौकरी मिलेगी या नहीं और यदि मिलेगी भी तो कितने दिनों के लिए?
ऐसी स्थिति मैं इस समाज की इकाई होने के नाते अपनी आवाज सबसे पहले उन कर्मचारियों तक पहुँचाना चाहती हूँ जो इस मंदी के कारण अपनी नौकरी खो चुके हैं. आपकी जिस प्रतिभा के कारण आपको यह नौकरी मिली थी, वही प्रतिभा आपके लिए दूसरा द्वार खोलेगी. जीवन-पथ सदा सुगम नहीं होता. हताश होकर कोई भी गलत फैसला न करें. अपने आत्मविश्वाश और धैर्य के साथ दूसरी नौकरी के लिए प्रयास करें. हो सकता है कुछ देर हो पर मिलेगी अवश्य.
मेरी प्रार्थना ऐसे कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों से भी है. आपके पालन-पोषण, दिशा- निर्देश एवं सहयोग के कारण ही आपके परिवार का यह सदस्य एक अच्छा सुशिक्षित नागरिक बन पाया. आप उसके सबसे बड़े संबल हैं. परन्तु कहीं- कहीं परिवार में ऐसी सोंच होती है जो बिना नौकरी के व्यक्ति को अवहेलना एवं तिरस्कार का पात्र समझती है. कृपया अपनी प्रतिक्रिया को एक नयी दिशा दे . यदि आपके परिवार में मंदी के कारण किसी की नौकरी चली गयी है तो उसे कुंठाग्रस्त न होने दे. उसे प्रोत्साहित कर उसके आत्मविश्वाश को बनाये रखे. आपका प्यार एवं आश्वाशन उसे अपनी परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति देगा.
मेरा विनम्र अनुरोध कम्पनी के व्यवस्थापकों से भी है कि वे कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों को जहाँ तक हो सके बेरोजगार न होने दे . अधिक वेतन पाने वाले कर्मचारी अपने वेतन से बुरे समय के लिए कुछ न कुछ बचत कर सकते हैं परन्तु कम वेतन पाने वाले कर्मचारी बहुत कठिनाई से अपना और अपने परिवार का भरण - पोषण कर पाते हैं. उदाहरण के लिए यदि किसी कर्मचारी का मासिक वेतन दो लाख रुपये है तो कुछ महीनो के लिए उसे पंद्रह हज़ार रुपये कम भी मिले तो शायद बहुत फर्क नहीं पड़ेगा, परन्तु जो व्यक्ति दस से पंद्रह हज़ार रुपये मासिक वेतन पा रहा है, उसकी नौकरी चली जाती है तो यह अत्यंत दुखद: है. पंद्रह हज़ार मासिक वेतन पाने वाले चार कर्मचारियों को निकालने के बदले दो लाख वेतन पाने वाले चार कर्मचारियों के वेतन से कुछ दिनों के लिए पंद्रह हज़ार रुपये कम किया जा सकता है.
16 comments:
bahut sahi mudda uthaya aapne...aaye din yah ho raha hai...
Hmmm...true, it is in fact very upsetting to see so many close people being laid off :-(
दिक्क़त ये है कि फैसला मोटी तनख्वाह वालों को ही करना है...
very flawless analysed aunty. sach mein kisi ki bhi lay off ki khabar sun kar dhakka sa lag jaata hai! thankfully NGO sector mein abhi tak iski maarnahi pahunchi hai!
संवेदना से भरपूर आलेख। काश आपकी बात सच हो जाये।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
kiranji,maine pahli bar aapka aalekh padha aur aapke hriday ki komalta aur manviya samvedna ka main kayal ho gaya hoon.......
BAHUT ACHHI POST K LIYE BADHAI
आपकी सहृदयता व संवेदनशीलता को प्रणाम
http://gazalkbahane.blogspot.com/
कम से कम दो गज़ल [वज्न सहित] हर सप्ताह
http:/katha-kavita.blogspot.com/
दो छंद मुक्त कविता हर सप्ताह कभी-कभी लघु-कथा या कथा का छौंक भी मिलेगा
सस्नेह
श्यामसखा‘श्याम
Meree bhee shubhkamnayen har us wyaktee ke saath hain, jo is daurse guzar raha hai...lekin yebhi kahungi, ki, har kisee kee zindageeme kisee-na kisee karan aise daur, sukh dukh ke aatehee rehte hain..jo tan lage so tan jaane..aur kya kahun?
shama
आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . लिखते रहिये
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है
गार्गी
एक और बात होती है जो कुंठा का कारण बनती है. अक्सर ये भी होता है कि आपसे कम प्रतिभाशाली, कामचोर लेकिन बॉस का चमचा अपनी नौकरी बचा लेता है लेकिन आप मेहनत करने के बावजूद निकाल दिए जाते हैं. ये सबसे ज्यादा गुस्सा दिलाने वाली बात होती है!
आपने वाकई अच्छी बातें कहीं, ख़ास कर परिवार के लिए.
आपने बहुत सही मुद्दा उठाया....
हे प्रभु ओर मुम्बई टाईगर का आभार...
You are so right, I also say that instead of reducing the nos, reduce the salary of all.
@ रश्मि: प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद. मैं अब धीरे धीरे ब्लॉग पे प्रतिक्रिया डालना सीख रही हूँ.
@ कनु: तुमसे ही लिखना सीख के तुमको क्या उत्तर दे
@ काजल कुमार: बिलकुल सही बोला आपने, इसीलिए ऐसा हो रहा है
@ तनु: बेटा, तुमलोग मेरा ब्लॉग पढ़ती हो यह देख के अच्चा लगता है.
@ श्यामल सुमन जी: आप मेरे ब्लॉग पे आये, इसके लिए धन्यवाद्.
@ अलेबला खत्री जी: मेरा सौभाग्य की आपके जैसी बहुमुखी प्रतिभा ने मेरे ब्लॉग पे अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
@ श्याम सखा जी: बहुत बहुत धन्यवाद्
@दिल दुखता है: आपका बहुत धन्यवाद
@ शमाजी: धन्यवाद्
@ गार्गी जी: सराहना के लिए धन्यवाद्
@ अभी जी: अवश्य आउंगी
@ अभिषेक: बेटा, बिलकुल सही कहा. कनु ने बताया की तुम भी हिंदी में लिखते हो. मैं भी तुम्हारी लेखनी अवश्य पढूंगी.
@ प्रभु जी : धन्यवाद
@ रेनू जी: बिलकुल सही
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
samsya ka samadhan jandar or shandar hai.aashirvad. narayan narayan
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