Thursday, July 2, 2009

छोड़ आयी थी जिसे...


छोड़ आयी थी जिसे...

गहरे सन्नाटे को चीरती हुई,
किसी के क़दमों की धीमी सी आहट,
अक्सर सुनाई देती है मुझे;
और यह आहट मुझ तक
पहुँच कर थम जाती है.
अपने बहुत करीब,
किसी के होने का एहसास होता है,
गौर से देखा चेहरा उसका,
और धीरे - धीरे उसके पूरे आकार को,
सहमी हुई मुस्कराहट के साथ उसने कहा...
" पहचाना नहीं मुझे?"
मैं तो वही की वही हूँ,
बिलकुल वैसी ही,
वर्षों पहले छोड़ आयी थी जिसे.
मेरी आँखों में सपने भरे थे तुमने,
हौसले भी बुलंद किये थे मेरे,
दिशाएँ अपनी थीं और
आसमान को छूने की आस,
कुछ भी असंभव नहीं था.
तुमने मुझे कितना सँवारा था!
अवहेलना और तिरस्कार
मेरे लिए अपरिचित थे.
पर ना जाने क्यों तुमने,
स्वयं से मुझे अलग कर दिया,
तुम तो खो गयी दुनिया की भीड़ में;
दब गयी जिम्मेदारियों के बोझ तले,
चल पड़ी कंकरीली - पथरीली राह पर ,
सहने लगी जो कुछ था असह्य.
कभी मुड़ कर देखा नहीं मुझे;
कभी सोंचा भी नहीं मेरे बारे में,
मैं रोती रही तुम्हारी दुर्दशा पर;
प्रतीक्षा करती रही, कब तुम मेरी सुध लोगी,
कब सोचोगी मैं क्या चाहती थी
मैं तुमसे विमुख ना हो सकी;
क्योंकि मैं तुम्हारी ही अस्मिता हूँ
वर्षों पहले छोड़ आयी थी जिसे.

---किरण सिन्धु

7 comments:

Anonymous said...

तुम तो खो गयी दुनिया की भीड़ में;
दब गयी जिम्मेदारियों के बोझ तले,
चल पड़ी कंकरीली - पथरीली राह पर ,
सहने लगी जो कुछ था असह्य.
कभी मुड़ कर देखा नहीं मुझे;
कभी सोंचा भी नहीं मेरे बारे में,
मैं रोती रही तुम्हारी दुर्दशा पर;
प्रतीक्षा करती रही, कब तुम मेरी सुध लोगी,
कब सोचोगी मैं क्या चाहती थी
मैं तुमसे विमुख ना हो सकी;
क्योंकि मैं तुम्हारी ही अस्मिता हूँ
वर्षों पहले छोड़ आयी थी जिसे.

very nice...the way you wrote it, is different...and i think this d story of every woman...

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा!!

के सी said...

सुंदर कविता है
शब्द भीतर तक उतरते हैं और कुछ नए बोध सृजित कर पाते हैं.
ब्लॉग का रंग रूप भी बड़ा सुंदर है हेडर ईमेज भी लाजवाब है.

Vinay said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

---
विज्ञान । HASH OUT SCIENCE

ओम आर्य said...

बहुत ही उम्दा ..............मेरी वाली भी बाहर आकर याद दिला दी ...........बहुत बहुत शुक्रिया

tellmeyourdreams said...

aunty i think this is about all of us...all we women...very flawlessly written..

Unknown said...

aunty u wrote fantastic it is a real story of woman..