Friday, February 12, 2010

घोंसला

५ फरवरी को मेरे बेटे किशु की पुण्य - तिथि थी. उसे गए एक वर्ष बीत गया लेकिन एक भी पल के लिए हम उसे भूल नहीं पाए. ऐसा लगता है वह हमारी समस्त चेतना में समा गया है, शायद आत्मसात होना इसे ही कहते हैं. मेरी यह कविता सिर्फ एक माँ के मन का उद्वेलन है.


घोंसला


इक सुगनी, दो सुगना थे,
अपनी माँ के राजदुलारे,
उसकी आँखों के थे तारे ,
एक डाल पर एक घोंसला,
चारो उसमें रहते थे.

इक सुगनी, दो सुगना थे,
मईया जब काम पर जाती,
तीनों संग खेला करते थे,
मईया जब काम से आती,
चारो संग खाया करते थे.

इक सुगनी, दो सुगना थे,
मईया के पीछे में सुगनी,
सुगनों को देखा करती थी,
सुगनों की खातिर वह उनकी,
मईया बनकर रहती थी.

इक सुगनी, दो सुगना थे,
मईया के सुखी संसार पर,
एक बाज की पडी नजर,
बड़े सुगने को झपट लिया,
पंजों में उसने क़ाल बन कर.

इक सुगनी, इक सुगना बचा,
मईया रोई, सुगनी रोई,
छोटा सुगना भी रोया,
सिर्फ वे तीनों ही जानते थे,
क्या उनलोगों ने खोया.

इक सुगनी, इक सुगना बचा,
मईया का मन सहमा - सहमा,
बच्चे उसके डरे - डरे,
बड़े सुगने की याद में हरदम,
नयन थे उनके भरे - भरे.

मईया संग सुगनी, सुगना थे,
पेड़ वो छूटा, डाल वो छूटी,
सबकुछ उनका उजड़ गया,
बड़े जतन से बना घोंसला,
तिनका - तिनका बिखर गया.
---किरण सिन्धु.

13 comments:

Kanupriya said...

......bahut achcha likhi ho maa...had tears in my eyes even while sitting in office......

Iya said...

Aunty, bahut touching poem hai yeah. aankhoon mein aasoon aa gaye pad ke...

Udan Tashtari said...

आँखें नम हो आईं..एक माँ के हृदय पर क्या गुजरी होगी, अनुमान लगाना भी संभव नहीं.

बस्स! ईश्वर उसकी आत्मा को शांति प्रदान करें और आपको एवं परिवार को संबल दे.

रश्मि प्रभा... said...

बड़े जतन से माँ घोंसला बनाती है, बुरे सायों से अपने जायों को बचाती है,
आँधी तूफ़ान सबकुछ सह जाती है.......शिकारी की एक चाल सबकुछ उलट-पुलट
कर देती है.........
पर सुगनी है, माँ की माँ बन जाएगी, और सुगना के लिए नए कवच बनाएगी......सुगनी
में बहुत साहस है

tellmeyourdreams said...

aunty shabd hi nai hain..ekdam hil gaye ander se..

संगीता पुरी said...

एक मां के दिल की तकलीफ इस रचना में पूरी तरह झलक रही है .. ईश्‍वर के आगे किसी का वश नहीं .. बस पूरे परिवार को इस दारूण दुख को सहने की शक्ति दे !!

Apanatva said...

Dil ko choo gayee ye rachana...aankhe anayas nam ho gayee hai.........

Achla said...

A very touching thought.Khone ka dhukh samaghana Unke liye aasan hai Jo Kho chuke hain.

n said...

एक सुगना जो चला गया, ऊपर से वो देख रहा
एक सुगना एक सुगनी है, मईया सगं सब खुश रहें
मुसकानें देखना चाहता हूँ, मैं हरदम साथ हूँ
है यही वो कह रहा
मुशकिल है, समझता हूँ, पर करना है
है यही वो चाह रहा

Mohinder56 said...

दिल को छूती हुई रचना... यह क्षति अपूर्णीय है..इसे यादों में संजो कर रखने के अतिरिक्त और कोई चारा नहीं... विधि के विधान को मानव कब ठुकरा पाया है.

shippy Narang said...

बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना है. मैं भी आजकल
कुछ ऐसे ही दौर से गुजर रही हूँ मेरा बेटा हॉस्पिटल में है
और क्या होगा कुछ पता नहीं, बस इश्वर के हाथ में
है सब कुछ. हम तो बस कठपुतलियाँ हैं उसकी. बस यही कह सकती हूँ
के भगवान आपको सहने के शक्ति दे. दुःख के इस क्षण में
हम सब एक दुसरे के साथ हैं.

Anonymous said...

Mein bhagwaan se prarthna karti hoon ki aapko yeh dard sahne ki shakti de.

Anonymous said...

अत्यंत ही मर्मस्पर्शी रचना....
feeling misty..